योगिक क्रियाए
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श्री प्रभाकर केशवराव मोतीवाले जिन्हें आत्मीयजन बापू के नाम से जानते हैं] एक सहज] सरल] सौम्य] प्रेममय] चैतन्य व्यक्तित्व जिनकी सागर समान गहरी आँखें उनके व्यक्तित्व का सतत् भान कराती रहती है। मात्र सात वर्ष की अल्पायु में ही आपको अपने पूर्व जन्मों की घटनायें समझ में आने लगीं।
सन् 1977&78 में साधना तासीर पर रहते हुए सूक्ष्म जगत की दिव्य-आत्माओं के संपर्क में आए। सूक्ष्म जगत के संचालनकर्ता परम गुरू श्री कालनेमीजी के मार्गदर्शन एवं सूक्ष्म जगत की दिव्यात्माओं के सहयोग] सत्संग एवं आचरण से आध्यात्मिक उन्नति को प्राप्त होते रहे। इसके फलस्वरूप 1987-88-89 में “NOT KNOWING STATE” में पदार्पण हुआ। इसी समय सन् 87