कुशल वक्ता कैसे बनें
किसी सभा, सम्मेलन या गोष्ठी में किसी वक्ता को बेहद प्रभावशाली ढंग से बोलते देखकर आप सोचते होंगे कि ईश्वर या प्रकृति ने इस व्यक्ति को कितनी प्रतिभा बख्शी है, जो उसके एक-एक शब्द को लोग इतने ध्यान से सुन रहे हैं। उसकी हर बात के कायल हो रहे हैं। आपके मन में सवाल उठते होंगे, “क्या मैं कभी ऐसा बोल पाऊंगा? क्या मैं सफल वक्ता बन सकूंगा? मेरे पास तो ऐसी प्रतिभा नहीं है, फिर मैं ऐसा कैसे कर पाऊंगा?”
इन सभी सवालों का जवाब है- हां।
वास्तव में, प्रकृति ने वक्तृत्व कला के मामले में व्यक्तियों के बीच में बस दो ही बातों में अंतर किया है। एक चीज है आवाज और दूसरी है कद-काठी, जो हर व्यक्ति को अलग-अलग मिलती है। इनके अलावा बाकी सारे अंतर इसी दुनिया में पैदा होते हैं। प्रभावशाली ढंग से बोलने के सारे औजार इसी दुनिया में जुटाने होते हैं। ये औजार हैं तैयारी, अभ्यास, विषय का ज्ञान और बिना झिझक लोगों के सामने अपनी बात रखने का आत्मविश्वास। प्रकृति प्रदत्त आवाज और कद-काठी में भी प्रयास करके सुधार किया जा सकता है।
इसका मतलब मामला जन्मजात प्रतिभा का नहीं है। यदि आप कुशल वक्ता बनना चाहते हैं तो प्रयास करके ऐसा कर सकते हैं। इतिहास और वर्तमान के ज्यादातर प्रसिद्ध वक्ताओं ने प्रयास करके ही यह विशेषता हासिल की। यह पुस्तक इसी प्रयास में आपकी मददगार बनेगी। यह पुस्तक कुशल वक्ता बनने के लिए जरूरी हर औजार को जुटाने और उन्हें तराशने में आपकी सहायता करेगी। इसकी मदद से आप बोलने से पहले पैदा होने वाले डर को दूर भगा सकते हैं। यह आवाज को दमदार बनाने के तरीके भी बताती है और भाषण से पहले की तैयारी की भी जानकारी देती है। भाषण से ठीक पहले और भाषण के दौरान बरती जाने वाली सावधानियां भी इसमें हैं तो भाषण के बाद किए जाने वाले उपाय भी शामिल हैं। कुल मिलाकर, इस पुस्तक के जरिए आप कुशल वक्ता बनने की अपनी राह को बहुत सुगम और सरल बना सकते हैं और किसी भी अवसर पर बेखौफ अपने विचार रख सकते हैं।