पुष्पित वृक्ष और लताएं
प्रभा भार्गव का जन्म मथुरा में हुआ और शिक्षा-दीक्षा मुंबई में। जे.जे. स्कूल आॅफ आर्ट्स और निर्मला निकेतन मुंबई से आपने कला की शिक्षा प्राप्त की। प्रभा जी पूर्णरूपेण बागवानी के प्रति समर्पित हैं। पेड़-पौधों, झरने, पहाड़ियां वाटिकाएं आरंभ से ही उन्हें आकृष्ट करते रहे। यही आकर्षण बागवानी-प्रेम के रूप में प्रस्पफुटित हुआ। राजकीय उद्यान द्वारा आयोजित प्रतियोगिताओं में कई वर्षों तक सर्वश्रेष्ठ पुरस्कारों से सम्मानित होती रहीं। सम्प्रति उसके संयोजक मण्डल की मानद सदस्या है। गुलदाऊदी एवं कोलियस के अतिरिक्त पु्ष्प-विन्यास अल्पना बोनसाई और हरे-भरे पौधें की प्रदर्शनी एवं प्रतियोगिताएं आयोजित करती रहती हैं। बागवानी के प्रति लोग आकृष्ट हों, पर्यावरण के प्रति लोगों में जागरूकता आए तथा घर-घर हरियाली पहुंच सके, इसके लिए प्रशिक्षण कार्यक्रम भी संपन्न करती रहती हैं।
प्रभा जी इलाहाबाद की विभिन्न साहित्यिक-सांस्कृतिक संस्थाओं से भी सक्रिय रूप से जुड़ी हैं। वर्ष 2000 में अखिल भारतीय भार्गव सभा ने अपने आगरा अधिवेशन में आपको ‘सरला कृष्णचन्द्र पर्यावरण’ पुरस्कार से सम्मानित किया। वर्ष 2007 में उत्तर प्रदेश हिन्दी सेवी संस्थान उत्तर प्रदेश ने राष्ट्रभाषा हिन्दी में आपके उल्लेखनीय कार्य के लिए आपको सम्मान उपाध् िसे अलंकृत एवं सम्मानित किया। आपकी पहली पुस्तक ‘पुष्प वाटिका’ बहुत चर्चित रही। ‘बागवानी कला’ एवं ‘उद्यान कला’ पुस्तकें बहुत लोकप्रिय रहीं ‘पुष्पित वृक्ष और लताएँ’ उसी क्रम में एक और सराहनीय प्रयास है।
शहर के व्यस्त इलाके में उनके निवास पर लगभग चार एकड़ में स्थित उनकी ‘जानकी वाटिका’ उद्यान प्रेमियों एवं कलाकारों के लिए सदैव आकर्षण का केन्द्र बनी रहती है। आप अपनी कल्पनाशीलता तथा कुशलता से उसे सदा संवारती, सजाती रहती हैं। पेड़-पौधों, पुष्पों एवं पुष्प-लताओं की विभिन्न दुर्लभ जातियां-प्रजातियां यहां देखी जा सकती हैं। बागवानी की प्रयोगात्मक उपलब्धियां प्राप्त करने का यहां उन्हें भरपूर अवसर मिलता है।
इनके पति श्री नरेश भार्गव जी ने प्रभा जी की बागवानी कला को सदैव प्रोत्साहित करके सहयोग दिया।