भवन निर्माण में वास्तु समाधान
वास्तु साहित्य पर उपलब्ध अनगिनत पुस्तकों में यह पहली सबसे अनूठी एवं उपयोगी पुस्तक है जिसमें सरल भाषा में सम्पूर्ण आवश्यक जानकारी क्रमबद्ध, शोधपूर्ण और रोचक शैली में, प्रामाणिक ग्रन्थों के आधार पर दी गई है। यदि आप अपने पूर्व निर्मित भवन में कोई कठिनाई महसूस करते हैं तो इस पुस्तक की सहायता से भवन को बिना तोड़फोड़ के, सिर्फ थोड़ा-सा आन्तरिक परिवर्तन कर वास्तु-सम्मत बना सकते हैं।
पुस्तक में जहां भूखण्ड के चयन, शिलान्यास से लेकर बहुमंजिली ईमारत के निर्माण तक की समस्त वास्तु-प्रक्रियाओं को व्यवहारिक, सरल एवं रोचक शैली में समझाया गया है, वहीं इंटीरियर डेकोरेशन के तहत घर को सुन्दर एवं वास्तु-सम्मत बनाने के कई उपाय भी सुझाये गये हैं। मकान के विभिन्न भागों की शुभाशुभता जानकर, बिना तोड़-फोड़ किए मकान को वास्तु-सम्मत बनाने के सूत्र भी दिए गये हैं। हर वर्ग का पाठक इसमें दिये गये सूत्रों को अपनाकर अपने आदर्श घर के स्वप्न को साकार कर सकता है।
जब से वास्तु का प्रचलन बढ़ा है तब से मन में वास्तु को लेकर अनेक प्रकार के प्रश्न उमड़ते-घुमड़ते रहे हैं। समाधान की खोज में पाठक अनेक पत्र-पत्रिकाओं एवं पुस्तकों को पढ़ते हैं या वास्तुविद् से संपर्क करते हैं। इस पुस्तक का उद्देश्य है कि इससे जहाँ आम पाठक अपनी जिज्ञासा शान्त कर सकें वहीं वास्तु के उद्भट विद्वान भी कुछ नया अद्भुत व प्रमाणिक प्राप्त कर सकें।
12 मार्च, 1972 को जन्मे व्रजेशनन्द शर्मा, जैन विश्वभारती मान्य विश्वविद्यालय, लाडनूं से जीवन विज्ञान, प्रेक्षाध्यान एवं योगा में एम.ए. तथा ज्योतिष विज्ञान प्रमाण-पत्र पाठ्यक्रम की परीक्षा में “ए” ग्रेड उपाधि प्राप्त हैं। आपने महर्षि दयानन्द सरस्वती विश्वविद्यालय, अजमेर से अर्थशास्त्र एवं इतिहास में एम.ए. तथा बी.एड. किया है।
अनेक मुख्य समाचार-पत्रों में निरन्तर शोधपूर्ण लेखन। जयपुर एवं दिल्ली से निकलने वाली सभी ज्योतिषीय पत्रिकाओं में वास्तु के व्यवहारिक पक्ष पर लेख प्रकाशित। प्रादेशिक और राष्ट्रीय ज्योतिष सेमिनारों में पत्र वाचन तथा ज्योतिष विषयक सेवाओं के लिए सम्मानित। अनेक पुस्तकें प्रकाशित। इनकी वर्ष 2009 में प्रकाशित “वास्तु के सौ सूत्र” अत्यन्त लोकप्रिय कृति है। ‘रोजमर्रा की जिंदगी में ज्योतिषीय योग और उनके प्रभाव’ इनकी अभिनव पुस्तक इसी वर्ष पुस्तक महल से प्रकाशित हुई है। ‘भवन निर्माण में वास्तु समाधान’ पुस्तक महल से प्रकाशित इनकी दूसरी कृति है।