क़ार्टुनिस्ट बनिए
बच्चे ड्राईंग्स बनाने में बहुत रूचि रखते हैं। जिध्रर भी देखें बच्चों में चित्रकारी, कलाकारी, और ड्राईंग्स के प्रति बढ़ती रूचि देखी जा सकती है। वह किसी की भी नकल उसका कार्टून बनाकर तो कभी अपने शिक्षक के ही कार्टून बनाकर खुश हो जाया करते हैं। आजकल स्वूफलों में भी ड्राईंग्स क्लासिज को अनिवार्य कर दिया गया है। करोड़ों बच्चों की इस रूचि को ध्यान में रख ही ये पुस्तक तैयार की गई है।
कार्टून-कला पर प्रकाशित यह प्रथम पुस्तक होगी जिसमें न केवल भावयुक्त कार्टून पात्रों को बनाने की विधि क्रमवार सचित्रा समझाई गई है अपितु कार्टून के लिए विचार ;आइडियाद्ध कैसे उत्पन्न किया जाए व कौन-कौन सी चीजें नए विचारों को उत्पन्न करने में आधर तैयार करते हैं, को भी उदाहरण सहित सरल भाषा में समझाया गया है।
पुस्तक में कार्टून्स का अर्थ, प्रकार, कार्टूनिस्टों की प्रकृति, अच्छे कार्टून के लक्षण, किन विषयों पर कार्टून बनाने से बचना चाहिए साथ ही कार्टून का इतिहास, विभिन्न पात्रों की मुद्राएं, चेहरे के भाव, कैरिकेचर बनाने की विधि कार्टून में कैप्शन लिखने व विशिष्ट पात्रों को दर्शाने पर भी प्रकाश डाला गया है।
About the Author
रामबाबू माथुर ने एम.ए. ;राजनीति विज्ञानद्ध, बी.एड. एवं एम.एड. की उपाधि हासिल की है। पिछले 40 वर्षों से देश की लगभग सभी प्रतिष्ठित पत्रा-पत्रिकाओं में इनके 10 हजार से भी अध्कि कार्टून्स एवं चित्रा कथाएं प्रकाशित हो चुकी हैं। बालहंस पत्रिका में नियमित 18 वर्षों तक लोकप्रिय चित्राकथा ‘बिज्जू’ के रचनाकार माथुर की रचना एन.सी.ई.आर.टी. की पाठ्य पुस्तकों में भी प्रकाशित हो चुकी है। मा.शि. बोर्ड राजस्थान के लिए ‘राजनीति विज्ञान’ विषय की पाठ्य पुस्तकों के सहलेखक के रूप में कार्य कर चुके राम बाबू माथुर के कार्टून्स अन्तर्राष्ट्रीय कार्टून प्रदर्शन में दो बार प्रद£शत हुए। इनको हिन्दुस्तान टाइम्स द्वारा आयोजित कार्टून प्रतियोगिता में भी पुरस्कृत किया जा चुका है।